जीतेन्द्र शर्मा* और शशि गुप्ता
उद्देश्य: अध्ययन का उद्देश्य असम के लखीमपुर में प्रकोप के दौरान रिपोर्ट किए गए गंभीर गैस्ट्रोएंटेराइटिस मामलों के प्रेरक एजेंट का पता लगाना है। विधियाँ: 23 गंभीर रोगियों से बेतरतीब ढंग से मल के नमूने एकत्र किए गए। विब्रियो कोलेरा जैसे जीवों का पता लगाने के लिए संस्कृति और संवेदनशीलता परीक्षण किया गया। H2S और सबसे संभावित संख्या (MPN) परीक्षण के लिए उनके पीने के पानी के स्रोतों से पानी के नमूने भी एकत्र किए गए। परिणाम: सितंबर, 2014 में, बोगिनोडी ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र (BPHC) के तहत जॉयहिंग और कोइलामारी चाय बागानों से उल्टी, पानी जैसा दस्त, बुखार और पेट दर्द के लक्षणों वाले कुल 152 मामले सामने आए। पुरुष से महिला अनुपात 1:1.17 था। शुरुआती मामले का पता 4 सितंबर को चला, उसके बाद धीरे-धीरे बढ़ते हुए 8 सितंबर को चरम स्तर पर पहुँच गया। संस्कृति ने 24 घंटे के एरोबिक ऊष्मायन के बाद 13 नमूनों में विब्रियो कोलेरा O1, एल टोर, ओगावा की वृद्धि दिखाई और जैव रासायनिक परीक्षण द्वारा इसकी पुष्टि की गई। सभी आयु वर्ग प्रभावित थे। विब्रियो कोलेरा संक्रमण के लिए महिलाएं अधिक संवेदनशील थीं। कुल मामले की मृत्यु दर 2.63% थी और हैजा की मृत्यु दर 7.69% थी। टारबाइन लाइन से बड़ी संख्या में हैजा पॉजिटिव मामलों (4 नंबर) का पता चला। संवेदनशीलता परीक्षण से पता चला कि विब्रियो कोलेरा संक्रमित रोगी पेनिसिलिन जी, बैसीट्रैसिन, को-ट्रिमोक्साज़ोल और ट्राइमेथोप्रिम जैसे सामान्य रोगाणुरोधकों के प्रति प्रतिरोधी थे। संक्रमण के प्रमुख कारण के रूप में फेकल-ओरल रूट की स्थापना की गई। सभी एकत्र पानी के नमूने भी दूषित पाए गए। निष्कर्ष: इस क्षेत्र के लोग ज्यादातर अशिक्षित हैं